Thursday, March 18, 2010

अजब माला की गजब कहानी

उतर प्रेदस की मुख्य मंत्री मायावती इन दिनों माया वती से माला वती बन चुकी है लखनऊ में एक महा रैली के दौरान माया वती को हजारी नोटों की माला पहनाकर उनके समर्थक ने मायावती से माला वती बना दिया मालावती माला पहनकर अपनी राजनीतिक सोच और समझ का डंके की चोट पर एलान कर दिया जैसा की होना था विपक्षी दलों को एक और मौका मिला और यंही से सूरी हो गयी अजब माला की गजब कहानी अजब माला की गजब कहानी का मतलब यह है की इन दिनों माया की माला ने हंगामा खड़ा कर दिया है क्योंकि माला तो बहुत देखे होंगे लकिन इस तरह की माला कम ही देखने को मिलता है हजरों की नोटों वाली माला का महिमा आपर है जिनको अपने भी पहली बार देखा होगा अक्सर देखा जाता है की माला फूलों का या पत्तों का या फिर सूत या नोटों का पर इस आकार सवरूप का माला तो कम ही देखने को मिलता है है न आप लोग भी पहली बार ही देखा होगा प्रायः यह देखा जाता है की माला छोटे सवरूप का ही होता है लकिन में जिस माला की बात कर रहा हु वो करोड़ों की मला थी जिसे माया वती ने पहना था वैसे तो माला का अर्थ भी जगह-जगह पर बदल जाता है कही फूलों की माला से किसी का सम्मान किया जाता है तो कही जूतों की माला से किसी का अपमान लकिन इस माला से माया का अपमान हुआ या सम्मान ये तो नहीं पता लकिन नोटों का अपमान तो इस लोकतंत्र में जरुर हो रहा है और अब भी लगता है जरी रहेगा क्या लगता है आप लोग को की अब नोटों की माला से ही लोगों का सम्मान नहीं किया जायेगा अब हम लोगों को ही तय करना होगा की नोटों की माला से सम्मान या फिर नोटों का अपमान तय तो हमलोगों को ही करना होगा खैर छोरिये इन बातो को जब से माया की माला के महिमा का बखान शुरू हुआ है तब से मॉल का अर्थ ही बदलता नज़र आता है माय की माला कोई हजरों की या लाखों की नही वो करोड़ों की थी विपक्षी का कहना है की माला की कीमत कम से कम बीस करोड़ की है तो कोई कहता ही की मला की कीमत ५१ करोड़ की है इस माला की तो सीबीआई जाच शुरू हो गयी है लकिन लगता है माला की कीमत तो शिर्फ़ माया की माया ही जाने वैसे तो माया दीदी को दलितों और गरीबों की बाटी कही जाती है लकिन इस के बाद माला की महिमा से अब दौलत की बती कहने मई कोई परेशानी नहीं होनी चहिये जब माया की माला को लेकर हंगामा खड़ा हो गया तो विपक्षी दल उनके पीछे पर गये तो मालावती ने फिर से एकबार माला पहनकर विपक्षी दलों को ठेंगा दिखा दिया और तानशाही का खुलें प्रदर्शन की पता नाही ये सही है की गलत पर माला वती का दलितों के शत यह प्रेम अजब प्रेम की गजब कहनी से कम नहीं बात चाहे कुछ भी हो सायद ही ये माला की खनी कुछ दिन तक तो चलेगा ही क्योंकि माया के तर्ज़ पर ही एक जे डीयू के नेता ने भी अपने सम्मान में नोटों की माला मंगवाया तो जरुर था पर पहन नहीं सके क्योंकि पहन ने से पहले ही उनके कार्यकर्त्ता ही नोट को लुट लिया और नेता जी शिर्फ़ फूल का माला ही पहन सके माया की माला से लेकर अज्ज अहमद तक की माला की कहानी साफ है

में तो शिर्फ़ यही कहूँगा की सब माय की माया है सब खेल है मेरे भाई