Saturday, July 10, 2010

वारदतों की राजधानी दिल्ली

दिल्ली अब वारदातों की राजधानी बन चुकी है । जहा हर रोज एक के बाद एक वारदातें हो रही है । इन वारदातों से कही न कही जनता दरी शाहमी रहती है । हद तो तब हो गया जब एक दिन में ही सात वारदात हो गयी वो भी दिल दहलाने वाली घटना। चोरी हो या लुट , हिंशा , हत्या , बलात्कार सभी वारदातों को अंजाम देने में अपराधी एक बार भी नहीं सोचते है। वो बेखोफ घूमते है और वारदात को अंजाम देते है। दिल्ली आखिर कितनी सुरक्षित है ये सभी जानते है। दिल्ली पुलिस की दावे की नकेल एक एक कर खुलती जा रही है। दिल्ली पुलस और सरकार फिर भी कहती है की दिल्ली सुरक्षित है सिला मैडम तो यहाँ तक कह दी की अन्य जगहों के अपेक्षा दिल्ली जायदा सुरक्षित है । सायद ये सभी घटना सिला जी को नहीं दिख रही है । दिल्ली पुलिस सायद ये भूल रही है की अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे है और उन्हें पुलिस का कोई दर नहीं है। एक दिन में सात वारदातें को अंजाम देकर पुलिस को अपराधी ठेंगा दिखा रहे है और दिल्ली पुलिस हाथ पे हट धर कर बैठी रहती है । कुछ ही दिन पहले से अब तक की बात की जाये तो ५० से ऊपर घटनाये हो चुकी है जो दिल दह्लादेने वाली है । कही सड़क पर खुलेआम किसी को गोली मार दी जाती है तो कही किसी को घर में घुस कर लुट लिया जाता है । लोगो का सड़कों पर निकलने में भी अब दर लगता है। वाय्पारी घर से निकलते समय दस बार सोचता है की सम को जिन्दा आ एंगे की नहीं । बलात्कार की घटना तो जैसे आम बात हो गयी हो दिल्ली के लिए कही विदेसी महिला के साथ बलात्कार किया जाता है तो कही सड़क पर गरभवती महिला को सर कुचल कर मार दिया जाता है । दिल्ली खासकर महिलाओं के लिये कितना सुरक्षित है इसका तजा उदाहरण है की विदेसी के साथ कोई और नहीं माकन मालिक ही बलात्कत कर रहा था वो भी द्र धमका कर । सबसे सोच्निये विषय ये है की ये सब तब हो रहा है जब कोमन वेल्थ गेम के गिनती के ही दिन बाकि है। गेम तो होना ही है लकिन उस समय ये सब होगा तो सायद भारत के इज्जत के साख पर बट्टा लग सकता है। सरकार को इस विषय पर सोचना ही होगा ।

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